शांगहाई से फ्लाइट बदलकर मैं चीनी समय के अनुसार दस बजे के आसपास चीन की राजधानी पेइचिंग पहुंचा । रास्ते में एक पल भी मैं सोया नहीं , मन खुशी और पेइचिंग जाने की उत्सुकता ने मुझे रात भर जगाये रखा । पेइचिंग एयरपोर्ट पर सारी औपचारिकताएँ पूरी कर जब मैं इस सुंदर हवाई अडडे से बाहर निकला , तो इधर उधर देखने लगा कि सी आर आई से कोई दिखाई दे, इस बीच आजमी जी आजमी की आवाज सुनाई दी , दायं तरफ पलटकर देखा को दीदी चाओ ह्वा और दीदी श्याओ थांग प्रसन्न मुद्रा में दिखाई दीं कि उन्हों ने मुझे पेइचिंग की कड़ाके की सर्दी से बचने के लिये गर्म रूईदार कपड़े , टीपी और दस्ताने आदि अपने हाथों से पहनाया ।
फिर मुझे सी आर आई स्टुडियो में जाने का अवसर मिला , जहां समस्त गणमान्य सदस्यों ने गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया ।
आजमी पेइचिंग यात्रा में---दूसरा भाग
कल शाम को तीन बजे CRI हिन्दी कार्यक्रम में जब मैं स्टाफ भाई बहनों से मिला, तो खुशी को ठिकाना नहीं था। सभी लोगों ने गर्म जोशी से मेरा स्वागत किया, ऐसा नहीं लग रहा था कि मैं उन से पहली बार मिल रहा हूं। पत्र के माध्यम से लगभग सभी CRI हिन्दी के सहयोगी मुझे जानते थे और प्रसारण के माध्यम से सभी उद्धोषकों उद्धोषिकाओं को मैं जानता था। नये पुराने सहकर्मियों से सक्रीय CRI हिन्दी विभाग में समपूर्ण एकता एवं बंधुता दिखी। श्री हुमीन जी के नेतृत्व में सभी कर्मी बेहद खुश और सक्रीय नज़र आये। नये पुराने छोटे बड़े का कोई भेड़भाव नहीं है। श्री हुमीन जी विभाग अध्यक्ष होने के बावजूद, सब के साथ ऐसे मिलजुल कर कार्य करते हैं कि देखकर कोई नहीं बता सकता कि आप चीफ़ है। CRI हिन्दी के सभी कर्मियों के अन्दर काम करने की भारी लगन नज़र आई, कम कर्मी के बावजूद. युद्ध स्तर पर काम हो रहा है। नये कर्मी जो हिन्दी कम जानते हैं, या दिन की हिन्दी कुछ कमजोर है, वह लोग भारी मेहनत कर रहे हैं। सभी कर्मी के डेस्क पर अलग अलग कमप्यूटर सहित सभी आवश्यक सामान है। श्रोताओं की भारी संख्या में चिट्ठियां एवं प्रशनावली नज़र आई। चिठीयों एवं प्रश्नावली की संख्या इतनी है, प्रश्नावली को निपटाने काम तेज़ी से चल रहा है। आफिस का मंजर बिलकुल परिवार जैसा है, प्यार स्नेह का मंडिर कहा जाये तो गलत नहीं होगा।
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